बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर
प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. परीक्षण की विश्वसनीयता के मापन के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिये।
2. किसी परीक्षण की विश्वसनीयता को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
3. परीक्षण की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर -
(Forms of Estimation of Reliability)
किसी परीक्षण की विश्वसनीयता का आंकलन निम्नलिखित दो रूपों में किया जाता है
1. सापेक्ष विश्वसनीयता (Relative Reliability) - किसी परीक्षण की सापेक्ष विश्वसनीयता उसके दो भागों या अवसरों से प्राप्त प्राप्तांकों में सहसम्बन्ध गुणांक की गणना के द्वारा ज्ञात की जाती है। स्पष्ट है कि यह विश्वसनीयता गुणांक एक परीक्षण के दूसरे भाग या दूसरे अवसर से प्राप्त प्राप्तांकों के सापेक्ष प्राप्त होती है इसीलिए इस विश्वसनीयता को सापेक्ष विश्वसनीयता कहते हैं। इस प्रकार के विश्वसनीयता गुणांक को एक शुद्ध संख्या कहते हैं जो हमेशा 1 से कम या 1 का खण्ड होती है। अतः कहा जा सकता है कि सापेक्ष विश्वसनीयता गुणांक एक आंकिक संख्या है। यह संख्या जितनी अधिक होती है परीक्षण की विश्वसनीयता उतनी ही अधिक होती है तथा यह संख्या जितनी कम होती है परीक्षण की विश्वसनीयता भी उतनी कम होती है।
2. निरपेक्ष विश्वसनीयता (Absolute Reliability) - किसी परीक्षण की निरपेक्ष विश्वसनीयता वह विश्वसनीयता होती है जो एक परीक्षण द्वारा प्राप्त प्राप्तांकों एवं सत्य प्राप्तांकों के अन्तर के आधार पर ज्ञात की जाती है। उदाहरण के लिए मापन की मानक त्रुटि (Standard Error of Measurement) के आधार पर ज्ञात की गयी विश्वसनीयता उस परीक्षण की निरपेक्ष विश्वसनीयता कहलाती है।
(Factors affecting Reliability)
किसी परीक्षण की विश्सवनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है -
(A) आन्तरिक कारक ( Intrinsic Factors) - किसी परीक्षण की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले आन्तरिक कारक वे होते हैं जो परीक्षण से सम्बन्धित होते हैं। परीक्षण को प्रभावित करने वाले आन्तरिक कारक निम्नलिखित हैं-
1. परीक्षण की लम्बाई (Length of the Test) - किसी परीक्षण की लम्बाई से तात्पर्य उस परीक्षण में शामिल पदों की संख्या (Number of items) से होता है। परीक्षण में पदों की संख्या जितनी अधिक होती है, उसकी लम्बाई भी उतनी ही अधिक होती है। परीक्षण की लम्बाई बढ़ने से विश्वसनीयता बढ़ जाती है तथा कम होने से घट जाती है। यदि किसी परीक्षण की विश्वसनीयता कम है तो उसके पदों की संख्या को बढ़ाकर विश्वसनीयता को बढ़ाया जा सकता है। परीक्षण में पदों की संख्या बढने से विश्वसनीयता निम्नलिखित दो कारणों से बढ़ती है -
(i) परीक्षण की लम्बाई अधिक होने के कारण प्राप्तांकों में भिन्नता (Variation) भी बढ़ जाती है।
(ii) परीक्षण की लम्बाई बढ़ने से परीक्षार्थियों के ज्ञान या योग्यता (Ability) और क्षमता का मापन छोटे परीक्षण की अपेक्षा अच्छी तरह से होता है।
किसी परीक्षण की लम्बाई बढ़ने से उसकी विश्वसनीयता कितनी बढ़ जाती है इसे स्पीयरमैन- ब्राउन सूत्र (Spearman Brown formula) के द्वारा निम्नलिखित प्रकार से जाना जा सकता है -
यहाँ
rm = लम्बाई बढ़े हुए परीक्षण की विश्वसनीयता।
n = कितने गुना लम्बाई बढ़ाई गयी है।
rn = मूल परीक्षण की विश्वसनीयता।
2. पदों की समरूपता (Homogeniety of Items) - पदों की समरूपता भी परीक्षण प्राप्तांकों की विश्वसनीयता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। पदों की समरूपता के दो अर्थ हैं, पहला यह कि सभी पद एक ही क्षमता या विशेषता का मापन करते हैं, दूसरा यह कि परीक्षण के विभिन्न पदों के मध्य अन्तर्सहसम्बन्ध अधिक हों। पदों की समरूपता दोनों ही अर्थों में होना आवश्यक है। एक प्रकार की समरूपता से उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती है। मरफी और डेविडशोफर (Murphy and Davidshofer, 1988) का मत है कि एक परीक्षण प्राप्तांकों की विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए उसके पदों को समरूप बना देना चाहिये। पदों को जितना अधिक समरूप बनाया जायेगा विश्वसनीयता उतनी ही अधिक होगी।
3. पदों की विभेदन शक्ति (Discrimination Power of the Items) - परीक्षण के पदों की विभेदन शक्ति भी प्राप्तांकों की विश्वसनीयता को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करती है। जब पदों में विभेदनशीलता अधिक होती है तो पदयोग परीक्षण सहसम्बन्ध (Item total test correlation) बढ़ जाता है जिससे परीक्षण प्राप्तांकों का विश्वसनीयता गुणांक भी बढ़ जाता है और जब पदों में विभेदनशीलता कम होती है तो पदयोग परीक्षण सहसम्बन्ध कम हो जाता है जिससे उसका विश्वसनीयता गुणांक भी कम हो जाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि पदों की विभेदन शक्ति विश्वसनीयता का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है।
4. पदों का कठिनाई स्तर (Difficulty Level of Items) - परीक्षण के पदों का कठिनाई स्तर भी प्राप्तांकों की विश्वसनीयता को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करता है। यह देखा गया है कि जब एक परीक्षण के पदों का कठिनाई स्तर बहुत अधिक होता है या बहुत कम होता है तो प्राप्तांकों की विश्वसनीयता कम होती है। इस विश्वसनीयता के कम होने का कारण यह होता है कि परीक्षार्थियों की वैयक्तिक भिन्नताओं का मापन सही ढंग से नहीं हो पाता है। इन दोनों ही परिस्थतियों में सभी परीक्षार्थी प्रश्नों के उत्तर समान ढंग से देते हैं जिसके कारण उनके प्राप्तांकों में अधिक भिन्नता नहीं होती है। परन्तु जब कठिनाई का स्तर मध्यम (Medium) होता है तो विभिन्न विद्यार्थियों के उत्तर भिन्न होते हैं और उनके उत्तरों में भिन्नता होती है जिसके परिणामस्वरूप उसकी विश्वसनीयता भी उच्च होती है। लिविंगस्टन (Livingston) के अनुसार परीक्षण के पदों का कठिनाई स्तर इतना अधिक नहीं होना चाहिये कि परीक्षार्थियों को उत्तर देने में कठिनाई हो। ऐसा होने पर वे प्रश्नों के उत्तर अनुमान ( Guess) के आधार पर देना आरम्भ कर देते हैं जिससे त्रुटि प्रसरण (Variance) बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप विश्वसनीयता गुणांक का मान कम हो जाता है।
5. फलांकन विधि का स्वरूप (Nature of Scoring Method) - परीक्षण की फलांकन विधि का स्वरूप भी परीक्षण की विश्वसनीयता को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करता है। यह देखा गया है कि यदि परीक्षण फलांकन विधि में वस्तुनिष्ठता (Objectivity) अधिक होती है तो उस परीक्षण की विश्वसनीयता भी अधिक होती है। वहीं दूसरी ओर यदि फलांकन विधि में आत्मनिष्ठता (Subjectivity) अधिक होती है तो विश्वसनीयता भी कम होती है। इस प्रकार परीक्षण के फलांकन में निश्चितता जितनी अधिक होती है उसकी विश्वसनीयता भी उतनी ही अधिक होती है। फलांकन विधि में अनिश्चितता बढने के कारण विश्वसनीयता कम हो जाती है।
(B) बाह्य कारक (Extrinsic Factors) - बाह्य कारकों से तात्पर्य उन कारकों से है जो परीक्षण से सम्बन्धित नहीं होते हैं फिर भी परीक्षण की विश्वसनीयता को प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-
1. विश्वसनीयता आंकलन विधि (Method of Estimating Reliability) - एक परीक्षण की विश्वसनीयता इस बात पर भी निर्भर करती है कि इस परीक्षण की गणना किस विधि से की गयी है। किसी परीक्षण की विश्वसनीयता गुणांक की गणना करने के लिये अनेक विधियाँ प्रचलित हैं। अतः किसी परीक्षण की विश्वसनीयता की गणना करते समय परीक्षण के स्वरूप के अनुसार ही विश्वसनीयता की आंकलन विधि का चुनाव करना चाहिये अन्यथा परीक्षण की विश्वसनीयता की गणना त्रुटिपूर्ण होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
2. प्रतिदर्श की विषमरूपता (Heterogeneity of Sample) - इस कारक को समूह विभिन्नता (Group variability) की कहते हैं। एनास्तासी ( Anastasi, 1972) तथा ननली (Nunnally, 1981) का विचार है कि परीक्षण की विश्वसनीयता ज्ञात करने के लिये परीक्षण का जिस समूह पर प्रशासन किया गया है उसके स्वभाव को जानना आवश्यक है। यहाँ समूह के स्वभाव से तात्पर्य उसकी समरूपता या विषमरूपता से है। जब समूह में समरूपता अधिक होती है तो उसकी विश्वसनीयता कम हो जाती है और जब विषमरूपता अधिक होती है तो उसकी विश्वसनीयता बढ़ जाती है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि समरूपता अधिक होने पर प्राप्तांकों का प्रसरण कम हो जाता है। जिसके फलस्वरूप उसका वास्तविक प्रसरण भी कम हो जाता है जिसके कारण उसकी विश्वसनीयता कम हो जाती है। वास्तव में पदों की समरूपता ही परीक्षण की विश्वसनीयता को प्रभावित करती है।
3. परीक्षार्थियों के अनुमान का प्रभाव (Effect of Guessing by Examinees) - एक परीक्षण के पदों का उत्तर देते समय परीक्षार्थी यदि प्रश्नों के उत्तर अनुमान ( Guess) के आधार पर देता है तो उन उत्तरों के आधार पर परीक्षार्थी का वास्तविक मूल्यांकन (True evaluation) नहीं हो पाता है जिससे परीक्षण की विश्वसनीयता प्रभावित होती है। परीक्षार्थी जितना अधिक अनुमान के आधार पर उत्तर देता है, विश्वसनीयता उतनी ही कम होती जाती है। यदि किसी पद के दो ही विकल्प (हाँ/नहीं) होते हैं तो अनुमान के आधार पर दिये गये उत्तरों के अनुमान के आधार पर सही होने की सम्भावना 50% होती है तथा उत्तरों के बहुविकल्पीय होने पर विकल्पों की संख्या के अनुपात में उत्तरों के होने की सम्भावना कम होती है। परीक्षण के प्राप्ताकों पर अनुमान का प्रभाव निम्नलिखित दो रूपों में पड़ता है -
(i) अनुमान के कारण परीक्षार्थी का कुल प्राप्तांक वास्तविक प्राप्तांक की अपेक्षा बढ़ जाता है जिसके कारण विश्वसनीयता मिथ्या ढंग से बढ़ जाती है।
(ii) अनुमान के कारण वास्तविक प्रसरण (True variance) में त्रुटिपूर्ण प्रसरण (Error variance) बढ़ जाता है जिसके कारण परीक्षण की विश्वसनीयता कम हो जाती है।
4. परीक्षार्थियों का अस्थिर स्वभाव (Fluctuating Nature of Examinees) - परीक्षण प्रशासन की अवधि में जब परीक्षार्थियों का स्वभाव स्थिर रहता है तो परीक्षण की विश्वसनीयता भी स्थिर रहती है। दूसरी ओर परीक्षार्थियों का स्वभाव अस्थिर होने पर उनकी विश्वसनीयता भी अस्थिर हो जाती है। परीक्षार्थियों में तनाव, घबराहट, चिन्ता आदि के कारण उत्तरों के त्रुटिपूर्ण होने की सम्भावना बढ़ जाती है जिसके कारण उसकी विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है क्योंकि उन उत्तरों से परीक्षार्थियों का वास्तविक मूल्यांकन नहीं हो पाता है।
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- प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
- प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
- प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
- प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
- प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
- प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
- प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
- प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
- प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
- प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
- प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
- प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
- प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
- प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
- प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
- प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
- प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
- प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला